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चाँद वीरान है सदियों से मिरे दिल की तरह - रिफ़अत सरोश कविता - Darsaal

चाँद वीरान है सदियों से मिरे दिल की तरह

चाँद वीरान है सदियों से मिरे दिल की तरह

ज़िंदगी ग़म है ख़ला में मिरी मंज़िल की तरह

कुर्रा-ए-अर्ज़ है इक मर्कज़-ए-हंगामा-ए-शौक़

बहर-ए-बे-आब में तहज़ीब के साहिल की तरह

ज़र्रा-ए-ख़ाक से है शो'ला-ए-जौहर की नुमूद

जिस ने सूरज को भी देखा है मुक़ाबिल की तरह

कल के चंगेज़-ओ-हलाकू हैं पस-ए-पर्दा-ए-ख़ाक

सुर्ख़-रू थे जो कभी ख़ंजर-ए-क़ातिल की तरह

मेरे क़दमों के निशाँ चाँद पे रख़्शंदा हैं

आप आ जाइए आवारा-ए-मंज़िल की तरह

गिरह-ए-शाम-ओ-सहर अहल-ए-ख़िरद से न खुली

ज़िंदगी आज भी है उक़्दा-ए-मुश्किल की तरह

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In Hindi By Famous Poet Rifat Sarosh. is written by Rifat Sarosh. Complete Poem in Hindi by Rifat Sarosh. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.