बुझा बुझा के जलाता है दिल का शो'ला कौन
बुझा बुझा के जलाता है दिल का शो'ला कौन
दिखा रहा है मुझी को मिरा तमाशा कौन
सभी के चेहरों पे मेहर-ओ-वफ़ा का ग़ाज़ा है
कहूँ ये कैसे पराया है कौन अपना
ख़ुशी की बज़्म में हम-रक़्स हैं सभी लेकिन
करेगा पार मिरे साथ ग़म का दरिया कौन
बहार आई है लेकिन खिले हैं आग के फूल
हर इक दरख़्त में रख कर गया है शो'ला कौन
ये फूल रंग सितारे फ़ज़ा की रानाई
उठा के भूल गया अपने रुख़ से पर्दा कौन
यक़ीन था उसे आना है एक दिन लेकिन
अचानक आई तो दिल ने धड़क के पूछा कौन
वरक़ वरक़ पे मोहब्बत की दास्ताँ लिख कर
'सरोश' सोच रहा हूँ उसे पढ़ेगा कौन
(495) Peoples Rate This