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अच्छा ये करम हम पे तो सय्याद करे है - रिफ़अत सरोश कविता - Darsaal

अच्छा ये करम हम पे तो सय्याद करे है

अच्छा ये करम हम पे तो सय्याद करे है

पर नोच के अब क़ैद से आज़ाद करे है

चुप-चाप पड़ा रहवे है बीमार तुम्हारा

नाला ही करे है न वो फ़रियाद करे है

ऐ बाद-ए-सबा उन से ये कह दीजियो जा कर

परदेस में इक शख़्स तुम्हें याद करे है

फ़रज़ाना उजाड़े है भरे शहरों को लेकिन

दीवाना तो सहरा को भी आबाद करे है

आवे है तेरा नाम तो हंस देवे है अक्सर

दीवाना तेरा यूँ भी तुझे याद करे है

निस्बत है नगीने से ये बोली है हमारी

क्या नाक़िद-ए-फ़न हम से तू इरशाद करे है

लिख लिख के मिटा देवे है तू नाम ये किस का

सच कहियो 'सरोश' आज किसे याद करे है

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In Hindi By Famous Poet Rifat Sarosh. is written by Rifat Sarosh. Complete Poem in Hindi by Rifat Sarosh. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.