रिफ़अत सरोश कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का रिफ़अत सरोश

रिफ़अत सरोश कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का रिफ़अत सरोश
नामरिफ़अत सरोश
अंग्रेज़ी नामRifat Sarosh
जन्म की तारीख1926

तजस्सुस

नौहा

नज्म-ए-सहर

ज़िंदगी तुझ से बिछड़ कर मैं जिया एक बरस

शहर-ए-शोर-ओ-शर तन्हा घर के बाम-ओ-दर तन्हा

फिर फ़िक्र-ए-सुख़न मैं कर रहा हूँ

न फूल हूँ न सितारा हूँ और न शो'ला हूँ

न कोई दोस्त न दुश्मन अजीब दुनिया है

हंगामे से वहशत होती है तन्हाई में जी घबराए है

घर को अब दश्त-ए-कर्बला लिक्खूँ

गली गली मिरी वहशत लिए फिरे है मुझे

एक बे-रंग से ग़ुबार में हूँ

दीबाचा-ए-किताब-ए-वफ़ा है तमाम उम्र

दौलत-ए-हर्फ़-ओ-बयाँ साथ लिए फिरते हैं

चाँद वीरान है सदियों से मिरे दिल की तरह

बुझा बुझा के जलाता है दिल का शो'ला कौन

अच्छा ये करम हम पे तो सय्याद करे है

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