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जब याद आया तेरा महकता बदन मुझे - रिफ़अत अल हुसैनी कविता - Darsaal

जब याद आया तेरा महकता बदन मुझे

जब याद आया तेरा महकता बदन मुझे

बहला सकी न बू-ए-गुल-ओ-यासमन मुझे

सड़कों पे जो फिराते थे बे-पैरहन मुझे

अब देने आए हैं वो मिरे घर कफ़न मुझे

अहल-ए-ख़िरद के साए से ये धूप ही भली

देता है मशवरा मिरा दीवाना-पन मुझे

इक आरज़ू है दौलत-ए-कौनैन से सिवा

कह कर पुकारें लोग शहीद-ए-वतन मुझे

फ़िक्र-ए-हयात-ओ-फ़िक्र-ए-ज़माना के साथ साथ

फ़िक्र-ए-हबीब है कभी फ़िक्र-ए-सुख़न मुझे

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In Hindi By Famous Poet Rifat Al-Husaini. is written by Rifat Al-Husaini. Complete Poem in Hindi by Rifat Al-Husaini. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.