चाहतों का जो शजर है दोस्तो
चाहतों का जो शजर है दोस्तो
आज बे-बर्ग-ओ-समर है दोस्तो
उड़ रही है जो सितारों से परे
अपनी ही गर्द-ए-सफ़र है दोस्तो
दामन-ए-ज़र्रीं अमीर-ए-शहर का
ख़ून में अपने ही तर है दोस्तो
अश्क-ए-ग़म पी पी के अपने शहर में
मुस्कुराना भी हुनर है दोस्तो
मंज़िल-ए-ख़ुर्शीद से आगे चलो
मौसम-परवाज़-ओ-पर है दोस्तो
कार-हा-ए-ज़िंदगी हैं मो'तबर
ज़िंदगी ना मो'तबर है दोस्तो
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