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आँच आएगी न अंदर की ज़बाँ तक ऐ दिल - रियाज़ मजीद कविता - Darsaal

आँच आएगी न अंदर की ज़बाँ तक ऐ दिल

आँच आएगी न अंदर की ज़बाँ तक ऐ दिल

कितनी देर और मिरी जान कहाँ तक ऐ दिल

हद ज़ियादा से ज़ियादा की कोई तो होगी

और इस हिर्स का फैलाव कहाँ तक ऐ दिल

तजरबा तजरबा आज़ाद रग-ओ-पै में रहा

कितनी अफ़्सुर्दगी है दहर से जाँ तक ऐ दिल

महक उड़ जाएगी तफ़्हीम के लब खुलने से

सहर इबलाग़ का है ज़ब्त-ए-बयाँ तक ऐ दिल

अक्स ओ आईने की सूरत है हमारा रिश्ता

हूँ तिरे साथ तू मेरा है जहाँ तक ऐ दिल

हैरत-आसार अजब ख़्वाब लिए बैठा हूँ

शायद आ जाए कोई मेरी दुकाँ तक ऐ दिल

शोर से अहल-ए-ख़बर के है 'रियाज़' आज़ुर्दा

कोई ले जाए उसे बे-ख़बराँ तक ऐ दिल

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In Hindi By Famous Poet Riaz Majeed. is written by Riaz Majeed. Complete Poem in Hindi by Riaz Majeed. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.