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उस चाँद को तुम दिल में छुपा क्यूँ नहीं लेते - रियाज़ हान्स कविता - Darsaal

उस चाँद को तुम दिल में छुपा क्यूँ नहीं लेते

उस चाँद को तुम दिल में छुपा क्यूँ नहीं लेते

इस प्यास की शिद्दत को बुझा क्यूँ नहीं लेते

गर प्यार की आतिश में सुलगने में मज़ा है

फिर इश्क़ में तुम ख़ुद को जला क्यूँ नहीं लेते

ये लाशा-ए-जाँ आएगा अब कौन उठाने

इस बोझ को काँधों पे उठा क्यूँ नहीं लेते

इस शहर में हैं लाख तबीबों की दूकानें

बीमार है गर दिल तो दवा क्यूँ नहीं लेते

है दिल में 'रियाज़' अपने छुपी दर्द-कहानी

रो-धो के ज़माने को सुना क्यूँ नहीं लेते

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In Hindi By Famous Poet Riaz Hans. is written by Riaz Hans. Complete Poem in Hindi by Riaz Hans. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.