बिछड़ते वक़्त की उस एक बद-गुमानी में
सदाएँ बह गई सब आँख ही के पानी में
बहार-रंग के सपने मिलेंगे आँखों में
ख़िज़ाँ जो लौट कर आएगी शादमानी में
किसी भी हश्र से महरूम ही रहा वो भी
मिरी तरह का जो किरदार था कहानी में
जगह जगह से सियाही भी धुल गई होगी
बहा है वक़्त जो उस डायरी पुरानी में