मैं कार-आमद हूँ या बे-कार हूँ मैं

मैं कार-आमद हूँ या बे-कार हूँ मैं

मगर ऐ यार तेरा यार हूँ मैं

जो देखा है किसी को मत बताना

इलाक़े भर में इज़्ज़त-दार हूँ मैं

ख़ुद अपनी ज़ात के सरमाए में भी

सिफ़र फ़ीसद का हिस्से-दार हूँ मैं

और अब क्यूँ बैन करते आ गए हों

कहा था ना बहुत बीमार हूँ मैं

मिरी तो सारी दुनिया बस तुम्ही हो

ग़लत क्या है जो दुनिया-दार हूँ मैं

कहानी में जो होता ही नहीं है

कहानी का वही किरदार हूँ मैं

ये तय करता है दस्तक देने वाला

कहाँ दर हूँ कहाँ दीवार हूँ मैं

कोई समझाए मेरे दुश्मनों को

ज़रा सी दोस्ती की मार हूँ मैं

मुझे पत्थर समझ कर पेश मत आ

ज़रा सा रहम कर जाँ-दार हूँ मैं

बस इतना सोच कर कीजे कोई हुक्म

बड़ा मुँह-ज़ोर ख़िदमत-गार हूँ मैं

कोई शक है तो बे-शक आज़मा ले

तिरा होने का दा'वे-दार हूँ मैं

अगर हर हाल में ख़ुश रहना फ़न है

तो फिर सब से बड़ा फ़नकार हूँ मैं

ज़माना तो मुझे कहता है 'फ़ारिस'

मगर 'फ़ारिस' का पर्दा-दार हूँ मैं

उन्हें खिलना सिखाता हूँ मैं 'फ़ारिस'

गुलाबों का सुहूलत-कार हूँ मैं

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In Hindi By Famous Poet Rehman Faris. is written by Rehman Faris. Complete Poem in Hindi by Rehman Faris. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.