अंजाम-ए-इंतिहा-ए-सफ़र देखते चलें

अंजाम-ए-इंतिहा-ए-सफ़र देखते चलें

अब गाँव आ गए हैं तो घर देखते चलें

गुज़रे नहीं हैं हम भी कभी इस दयार से

कैसा है ख़्वाहिशों का नगर देखते चलें

फिर एहतिमाम-ए-मा'रका-ए-मर्ग-ओ-ज़ीस्त है

तेग़ों से खेलते हुए सर देखते चलें

साहिल पे सहमे सहमे ज़माना गुज़र गया

दरिया का आज ज़ेर-ओ-ज़बर देखते चलें

जिन क़ातिलों का शहर में चर्चा है इन दिनों

जी चाहता है उन का हुनर देखते चलें

फ़ुर्सत कहाँ है उतनी कि तफ़्सील से पढ़ें

अख़बारी सुर्ख़ियों में ख़बर देखते चलें

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In Hindi By Famous Poet Rehber Jaunpuri. is written by Rehber Jaunpuri. Complete Poem in Hindi by Rehber Jaunpuri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.