रेहाना रूही कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का रेहाना रूही
नाम | रेहाना रूही |
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अंग्रेज़ी नाम | Rehana Roohi |
जो भीक माँगते हुए बच्चे के पास था
हर दिसम्बर इसी वहशत में गुज़ारा कि कहीं
मैं ने तुम्हें चलना सिखाया था
ये सोच कर न फिर कभी तुझ को पुकारा दोस्त
वो मुंतज़िर हैं हमारे तो हम किसी के हैं
तेरी गली को छोड़ के जाना तो है नहीं
शब-ओ-रोज़ रक़्स-ए-विसाल था सो नहीं रहा
सफ़र में रस्ता बदलने के फ़न से वाक़िफ़ है
नींद आँखों में मुसलसल नहीं होने देता
नज़्ज़ारा-ए-जमाल ने सोने नहीं दिया
मसरूफ़ियत उसी की है फ़ुर्सत उसी की है
कोई जादू न फ़साना न फ़ुसूँ है यूँ है
किसी की चश्म-ए-गुरेज़ाँ में जल बुझे हम लोग
कौन कहाँ तक जा सकता है
जुनून-ए-इश्क़ में सद-चाक होना पड़ता है
जो सहीफ़ों में लिखी है वो क़यामत हो जाए
दिल को रह रह के ये अंदेशे डराने लग जाएँ