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तुम अँधियारों की बात करो - रेहान अल्वी कविता - Darsaal

तुम अँधियारों की बात करो

तुम अँधियारों की बात करो हम दीप जलाते जाएँगे

तुम ताबीरें तस्ख़ीर करो हम ख़्वाब जगाते जाएँगे

तुम तिश्ना-लबी को आम करो हम प्यास बुझाते जाएँगे

तुम मायूसी की शाम करो हम आस बढ़ाते जाएँगे

तुम ज़ंजीरें नीलाम करो हम हार बनाते जाएँगे

बारूद के बदले फूलों के अम्बार लगाते जाएँगे

तुम अँधियारों की बात करो हम दीप जलाते जाएँगे

तुम ताबीरें तस्ख़ीर करो हम ख़्वाब जगाते जाएँगे

तुम ज़ुल्म बढ़ाते जाओगे हम अज़्म बढ़ाते जाएँगे

तुम जब्र बढ़ाते जाओगे हम अलम उठाते जाएँगे

तुम अलम गिराते जाओगे हम क़लम उठाते जाएँगे

तुम क़लम गिराते जाओगे हम हश्र उठाते जाएँगे

तुम अँधियारों की बात करो हम दीप जलाते जाएँगे

तुम ताबीरें तस्ख़ीर करो हम ख़्वाब जगाते जाएँगे

तुम कुफ़्र के फ़तवे लाओगे हम हक़ की दलीलें लाएँगे

तुम अपनों को ठुकराओगे हम ग़ैरों को अपनाएँगे

तुम नफ़रत को फैलाओगे हम इश्क़ में नाम कमाएँगे

तुम ज़ख़्म लगाते जाओगे हम जश्न मनाते जाएँगे

तुम अँधियारों की बात करो हम दीप जलाते जाएँगे

तुम ताबीरें तस्ख़ीर करो हम ख़्वाब जगाते जाएँगे

तुम गुमराही फैलाओ हम क़ुरआन सुनाते जाएँगे

तुम हिर्स बढ़ाते जाओ हम ईमान बढ़ाते जाएँगे

मीज़ान गिराते जाओ हम तूफ़ान उठाते जाएँगे

तुम आग लगाते जाओ हम गुलज़ार बनाते जाएँगे

तुम अँधियारों की बात करो हम दीप जलाते जाएँगे

तुम ताबीरें तस्ख़ीर करो हम ख़्वाब जगाते जाएँगे

तुम ज़ेहनों पर यलग़ार करो अफ़्कार जगाते जाएँगे

तुम विर्से को मिस्मार करो शाहकार बनाते जाएँगे

तुम जब्र करो क़िताल करो फ़नकार बनाते जाएँगे

तुम कूज़ा-गरों का काल करो मे'मार बनाते जाएँगे

तुम अँधियारों की बात करो हम दीप जलाते जाएँगे

तुम ताबीरें तस्ख़ीर करो हम ख़्वाब जगाते जाएँगे

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In Hindi By Famous Poet Rehan Alvi. is written by Rehan Alvi. Complete Poem in Hindi by Rehan Alvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.