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इस समुंदर पे इक इल्ज़ाम ही धर जाना है - रज़्ज़ाक़ अादिल कविता - Darsaal

इस समुंदर पे इक इल्ज़ाम ही धर जाना है

इस समुंदर पे इक इल्ज़ाम ही धर जाना है

पास साहिल के मुझे प्यास से मर जाना है

क्यूँ दिखाते हो शिकस्ता से पुराने रस्ते

मुझ को तो इक नए सपनों के नगर जाना है

आख़िरी मोड़ पे पहुँची है कहानी लेकिन

ढल गई रात चलो लूट के घर जाना है

बीच में लफ़्ज़ थे तर्सील की नाकामी थी

मैं ने उस को मुझे उस ने भी दिगर जाना है

इतनी आसान नहीं शाएरी 'आदिल'-साहब

लफ़्ज़-ओ-मअनी के समुंदर में उतर जाना है

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In Hindi By Famous Poet Razzaq Aadil. is written by Razzaq Aadil. Complete Poem in Hindi by Razzaq Aadil. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.