जिस को तुम कहते हो ख़ुश-बख़्त सदा है मज़लूम
जीना हर दौर में औरत का ख़ता है लोगो
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Javed Akhtar
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Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Rahat Indori
Gulzar
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Anwar Masood
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इक सहीफ़ा नया उतरा है सुना है लोगो
दिल तो है एक मगर दर्द के ख़ाने हैं बहुत
दिल के दर्द के कम होने का तन्हा कुछ सामान हुआ