खुले में छोड़ रखा है मगर सलीक़े से
खुले में छोड़ रखा है मगर सलीक़े से
बंधे हुए हैं परिंदों के पर सलीक़े से
हमीं पे फ़र्ज़ नहीं सिर्फ़ हक़ पड़ोसी का
तुम्हें भी चाहिए रहना उधर सलीक़े से
कभी से हालत-ए-बीमार-ए-दिल सँभल जाती
इलाज करते अगर चारा-गर सलीक़े से
हमारे चाहने वाले बहुत ही नाज़ुक हैं
हमारी मौत की देना ख़बर सलीक़े से
बहुत सी मुश्किलें हाएल हैं राह में लेकिन
तमाम उम्र किया है सफ़र सलीक़े से
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