सौ रहा था तो शोर बरपा था

सौ रहा था तो शोर बरपा था

उठ के देखा तो मैं अकेला था

ख़ाक पर मेरे ख़्वाब बिखरे थे

और मैं रेज़ा रेज़ा चुनता था

चार जानिब वजूद की दीवार

अपनी आवाज़ मैं ही सुनता था

उम्र भर बूँद बूँद को तरसे

सामने घर के एक दरिया था

लब-ए-दरिया खड़े रहे दोनों

वो भी प्यासा था मैं भी प्यासा था

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In Hindi By Famous Poet Razi Tirmizi. is written by Razi Tirmizi. Complete Poem in Hindi by Razi Tirmizi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.