Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_abefe226d85941fa6ae6ae71102d474f, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
ज़िंदगी अब इस क़दर सफ़्फ़ाक हो जाएगी क्या - रज़ा मौरान्वी कविता - Darsaal

ज़िंदगी अब इस क़दर सफ़्फ़ाक हो जाएगी क्या

ज़िंदगी अब इस क़दर सफ़्फ़ाक हो जाएगी क्या

भूक ही मज़दूर की ख़ूराक हो जाएगी क्या

मेरे क़ातिल से कोई ऐ काश इतना पूछ ले

ये ज़मीं मेरे लहू से पाक हो जाएगी क्या

हर तरफ़ उर्यां-तनी के जश्न होंगे रोज़ ओ शब

इस क़दर तहज़ीब-ए-नौ बेबाक हो जाएगी क्या

बढ़ गया साया अगर क़द से तो बढ़ने दीजिए

ख़ाक उड़ कर हमसर-ए-अफ़्लाक हो जाएगी क्या

क़ैद-ए-हस्ती से ब-मुश्किल हो सका था मैं रिहा

मेरी मिट्टी कासा-गर का चाक हो जाएगी क्या

सारी दुनिया ढल रही है मग़रिबी तहज़ीब में

बे-हयाई अब मिरी पोशाक हो जाएगी क्या

वाक़ई दरिया-ए-ग़म के तेज़ धारों में 'रज़ा'

ज़िंदगी मेरी ख़स-ओ-ख़ाशाक हो जाएगी क्या

(556) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Raza Mauranvi. is written by Raza Mauranvi. Complete Poem in Hindi by Raza Mauranvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.