Ghazals of Raza Mauranvi
नाम | रज़ा मौरान्वी |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Raza Mauranvi |
ज़िंदगी अब इस क़दर सफ़्फ़ाक हो जाएगी क्या
यूँही ज़ालिम का रहा राज अगर अब के बरस
ये वक़्त जब भी लहू का ख़िराज माँगता है
ये किस दयार के हैं किस के ख़ानदान से हैं
महकती आँखों में सोचा था ख़्वाब उतरेंगे
किसी के ज़ख़्म पर अश्कों का फाहा रख दिया जाए
ख़ुश्क दामन पे बरसने नहीं देती मुझ को
इस तरह आँखों को नम दिल पर असर करते हुए