तुझे ऐ ज़ाहिद-बदनाम समझाना भी आता है

तुझे ऐ ज़ाहिद-बदनाम समझाना भी आता है

कहीं बातों में तेरी रिंद-ए-मैख़ाना भी आता है

मतानत-आफ़रीं नज़रें करम-गुस्तर सफ़-ए-मिज़्गाँ

सितम ढाने को उठ्ठे हो सितम ढाना भी आता है

उन्हीं नाज़ुक लबों को फ़ुर्सत-ए-आतिश-बयानी भी

उन्हीं नाज़ुक लबों को फूल बरसाना भी आता है

कहो बादा-कशो क्या हाल है फ़ैज़ान-ए-साक़ी का

कभी महफ़िल में दौर-ए-जाम-ओ-पैमाना भी आता है

नहीं महदूद एहसास-ए-तपिश शम-ए-फ़रोज़ाँ तक

बला का सोज़ ले कर दिल में परवाना भी आता है

फ़ना का दर्स देती हैं रह-ए-उल्फ़त में जो मौजें

उन्हीं के पेच-ओ-ख़म से दिल को बहलाना भी आता है

उन्हीं अश्कों में एहसास-ए-अलम का सैल-ए-बे-पायाँ

सर-ए-मिज़्गाँ उन्हीं अश्कों को थर्राना भी आता है

तुम्हीं ने लब को बख़्शी है मता-ए-ख़ामुशी वर्ना

ज़बाँ से क़िस्सा-हा-ए-शौक़ दोहराना भी आता है

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In Hindi By Famous Poet Raza Jaunpuri. is written by Raza Jaunpuri. Complete Poem in Hindi by Raza Jaunpuri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.