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क्या पूछते हो मुझ को मोहब्बत में क्या मिला - रज़ा जौनपुरी कविता - Darsaal

क्या पूछते हो मुझ को मोहब्बत में क्या मिला

क्या पूछते हो मुझ को मोहब्बत में क्या मिला

दोनों-जहाँ का दर्द ब-नाम-ए-ख़ुदा मिला

शायद यही है हासिल-ए-पायान-ए-आरज़ू

अपना पता नहीं है जो उन का पता मिला

अफ़्साना-ए-हयात की तकमील हो गई

जब उन के सिलसिले से मिरा सिलसिला मिला

जब से नहीं वो नग़्मा-ज़न-ए-साज़-ए-ज़िंदगी

इक एक तार दिल का मुझे बे-सदा मिला

तुम क्या मिले मिज़ा के ज़िया-बार कू-ब-कू

पर्दे में शब के सुब्ह का रू-ए-सफ़ा मिला

हर आरज़ू की एक वही जान-ए-आरज़ू

हर मुद्दआ' का एक वही मुद्दआ' मिला

वज्ह-ए-दवाम फ़ितरत-ए-ग़म ही नहीं फ़क़त

दिल भी अज़ल-तराज़ अबद-आश्ना मिला

कैसी बहार मौजा-ए-कैफ़-ओ-निशात क्या

पहलु-ए-गुल न दामन-ए-बाद-ए-सबा मिला

जन्नत चमक चमक उठी रंग-ओ-जमाल की

किस गुल की आरज़ू का शरफ़ ऐ 'रज़ा' मिला

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In Hindi By Famous Poet Raza Jaunpuri. is written by Raza Jaunpuri. Complete Poem in Hindi by Raza Jaunpuri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.