Ghazals of Raza Jaunpuri

Ghazals of Raza Jaunpuri
नामरज़ा जौनपुरी
अंग्रेज़ी नामRaza Jaunpuri

ये बात तिरी चश्म-ए-फुसूँ-कार ही समझे

उन की निगाह-ए-नाज़ के क़ाबिल कहें जिसे

तुझे ऐ ज़ाहिद-बदनाम समझाना भी आता है

शम्अ' की आग़ोश ख़ाली कर के परवाना चला

फिर राह दिखा मुझ को ऐ मशरब-ए-रिंदाना

मकीं और भी हैं मकाँ और भी हैं

क्या पूछते हो मुझ को मोहब्बत में क्या मिला

कुछ तो हासिल हो गया इरफ़ान-ए-मय-ख़ाना मुझे

कैफ़ नसीब अब कहाँ ग़ुंचों के भी जमाल में

जिंस-ए-गिराँ का मैं हूँ ख़रीदार दोस्तो

झुक सके आप का ये सर तो झुका कर देखें

दिल को मामूर करो जज़्ब-ओ-असर से पहले

बेदार हो गए हैं जो ख़्वाब-ए-गिराँ से हम

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