Ghazals of Raza Hamdani
नाम | रज़ा हमदानी |
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अंग्रेज़ी नाम | Raza Hamdani |
जन्म की तारीख | 1910 |
मौत की तिथि | 1994 |
जन्म स्थान | Peshawar |
ज़ख़्म कुछ ऐसे मिरे क़ल्ब-ओ-जिगर ने पाए
ये किस मक़ाम पे ठहरा है कारवान-ए-वफ़ा
ये दौर-ए-मसर्रत ये तेवर तुम्हारे
सहरा-ए-ख़याल का दिया हूँ
मा'मूरा-ए-अफ़्क़ार में इक हश्र बपा है
ख़राब-ए-इश्क़ सही आलम-ए-शुहूद में हूँ
जुनूँ का राज़ मोहब्बत का भेद पा न सकी
हुस्न पाबंद-ए-हिना हो जैसे
हम सकूँ पाएँगे सलमाओं में क्या
हर एक घर का दरीचा खुला है मेरे लिए
हर अक्स ख़ुद एक आइना है
है ग़नीमत ये फ़रेब-ए-शब-ए-व'अदा ऐ दिल
चुप हो क्यूँ ऐ पयम्बरान-ए-क़लम
चढ़ते हुए दरिया की अलामत नज़र आए
अश्क यूँ बहते हैं सावन की झड़ी हो जैसे
आ तुझ को ख़याल में बसाऊँ