हर नफ़स मूरिद-ए-सफ़र हैं हम
हर नफ़स मूरिद-ए-सफ़र हैं हम
गोया दुक्कान-ए-शीशागर हैं हम
शम्अ के गाह ताज-ए-सर हैं हम
गह पतिंगे के बाल-ओ-पर हैं हम
इश्क़ ने जब से की है दिल कर नी
बर्क़ हैं शो'ला हैं शरर हैं हम
रंग-ए-रुख़्सार ख़ूब-रूयाँ हैं
आह-ए-उश्शाक़ के असर हैं हम
हम हैं नैरंगी-ए-बहार के रंग
नख़्ल-ओ-बर्ग-ओ-गुल-ओ-समर हैं हम
सज्दा-गह हैं तमाम आलम की
किस की ये ख़ाक-ए-रहगुज़र हैं हम
अहल-ए-दिल अपने रहते हैं मुश्ताक़
गोइया वस्ल की ख़बर हैं हम
हाल ख़त्त-ए-शिकस्ता में लिक्खा
यानी उस से शिकस्ता-तर हैं हम
दुश्मनी हम से हो नहीं सकती
तुझ से शर्मिंदा कीना-वर हैं हम
जब से देखी है उस के घर की राह
और ख़ाना-ख़राब-तर हैं हम
रश्क में शोर-ओ-शर से हैं लाचार
कुछ फ़रिश्ते नहीं बशर हैं हम
उस ने अहवाल पूछा हम मर गए
किस क़दर क़िस्सा-मुख़्तसर हैं हम
क्या करें दिल नहीं है पास 'रज़ा'
सब्र में वर्ना बे-जिगर हैं हम
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