दामन से अपने झाड़ के सहरा-ए-ग़म की धूल

दामन से अपने झाड़ के सहरा-ए-ग़म की धूल

आओ चलो न हम भी चुनें सरख़ुशी के फूल

आख़िर को मिल सकी न बशर को रह-ए-नजात

यूँ तो हर एक दौर में आते रहे रसूल

दामन बचा के आइयो मेरे मज़ार तक

ऐ जान-ए-नौ-बहार उगे हैं इधर बबूल

देखा कभी जो दहर को शाइ'र की आँख से

ख़ल्लाक़-ए-काएनात भी सदियों रहा मलूल

आएगा कोई जाम मय-ए-सरख़ुशी लिए

ऐ दिल कुछ और देर हिंडोले में ग़म के झूल

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In Hindi By Famous Poet Raza Ashk. is written by Raza Ashk. Complete Poem in Hindi by Raza Ashk. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.