महरूमियों का अपनी न शिकवा हो क्यूँ हमें
कुछ लोग पी के ही नहीं छलका के आए हैं
Habib Jalib
Rahat Indori
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Wasi Shah
Jaun Eliya
Gulzar
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
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दिल में झाँका तो बहुत ज़ख़्म पुराने निकले
दिल बता और क्या है होने को
हूँ शामिल सब में और सब से जुदा हूँ