Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_8714eb6e21d2da986b8094b04e26dd9d, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
रंग उस महफ़िल-ए-तमकीं में जमाया न गया - रविश सिद्दीक़ी कविता - Darsaal

रंग उस महफ़िल-ए-तमकीं में जमाया न गया

रंग उस महफ़िल-ए-तमकीं में जमाया न गया

ख़ामुशी से भी मिरा हाल सुनाया न गया

वहशत-ए-दिल ने हिजाबात-ए-जहाँ चाक किए

एक पर्दा रुख़-ए-जानाँ से उठाया न गया

इश्क़ इक दाग़ सही दामन-ए-हस्ती पे मगर

ख़ुद मशिय्यत से भी ये दाग़ मिटाया न गया

कर दिया दफ़्तर-ए-हस्ती तो परेशाँ दल ने

मगर इक ख़्वाब-ए-परेशाँ को भुलाया न गया

वो अँधेरा था कि हंगाम-ए-सहर भी हम से

शम्-ए-अंदोह-ए-जुदाई को बुझाया न गया

सरहद-ए-इश्क़ से आगे न बढ़ी वहशत-ए-इश्क़

हुस्न-ए-हुश्यार को दीवाना बनाया न गया

लाख उन्वाँ से भुलाना उन्हें चाहा था 'रविश'

किसी उन्वाँ से मगर उन को भुलाया न गया

(474) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Ravish Siddiqi. is written by Ravish Siddiqi. Complete Poem in Hindi by Ravish Siddiqi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.