लगी है भीड़ बड़ा मय-कदे का नाम भी है
लगी है भीड़ बड़ा मय-कदे का नाम भी है
कुछ इस में ख़ूबी-ए-रिंदान-ए-तिश्ना-काम भी है
जुनून-ए-शौक़ ने दिल को किया तबाह मगर
कुछ इस में तेरे तग़ाफ़ुल का एहतिमाम भी है
किताब-ए-ज़ीस्त है यकसर हिकायत-ए-ग़म-ए-दिल
हिकायत-ए-ग़म-ए-दिल हर्फ़-ए-ना-तमाम भी है
सुकून-ए-अहल-ए-ख़राबात-ए-इश्क़ क्या कहिए
रुकी रुकी सी यहाँ उम्र-ए-तेज़-गाम भी है
बुतान-ए-शहर हम अहल-ए-वफ़ा से हैं बे-ज़ार
बुतान-ए-शहर को अहल-ए-वफ़ा से काम भी है
वो शख़्स अपनी जगह है मुरक़्क़ा-ए-तहज़ीब
ये और बात है कि क़ातिल उसी का नाम भी है
चराग़-ए-सुब्ह की अफ़्सुर्दगी नहीं तन्हा
कहीं क़रीब यहीं आफ़्ताब-ए-शाम भी है
दर-ए-सनम प रुके हैं मगर ब-ज़ेर-ए-क़दम
हज़ार सिलसिला-ए-गर्दिश-ए-मुदाम भी है
जो ख़ल्वतों में सुकूत-आश्ना रहा सदियों
वही 'रविश' से सर-ए-बज़्म हम-कलाम भी है
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