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इश्क़ दुश्वार नहीं ख़ुश-नज़री मुश्किल है - रविश सिद्दीक़ी कविता - Darsaal

इश्क़ दुश्वार नहीं ख़ुश-नज़री मुश्किल है

इश्क़ दुश्वार नहीं ख़ुश-नज़री मुश्किल है

सहल है कोह-कनी शीशागरी मुश्किल है

उस में शामिल है मिरा हुस्न-ए-तलब भी ऐ दोस्त

वर्ना इस हुस्न से बेदाद-गरी मुश्किल है

लग गई दामन-ए-गेसू-ए-परेशाँ की हवा

होश में आए नसीम-ए-सहरी मुश्किल है

मसनद-ए-लाला-ओ-रैहाँ हो कि हो तख़्ता-ए-दार

हम-नशीं चारा-ए-आशुफ़्ता-सरी मुश्किल है

ये हक़ीक़त कोई अरबाब-ए-ख़बर से पूछे

किस क़दर मरहला-ए-बे-ख़बरी मुश्किल है

दिल-ए-बेदार का अब और ही आलम है 'रविश'

लब तक आ जाए फ़ुग़ान-ए-सहरी मुश्किल है

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In Hindi By Famous Poet Ravish Siddiqi. is written by Ravish Siddiqi. Complete Poem in Hindi by Ravish Siddiqi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.