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दिल तक हो चाक तेग़ जो सर पर लगाइए - रौनक़ टोंकवी कविता - Darsaal

दिल तक हो चाक तेग़ जो सर पर लगाइए

दिल तक हो चाक तेग़ जो सर पर लगाइए

आशिक़ हूँ हाथ सोच-समझ कर लगाइए

चेहरे पे नाज़ुकी से न आए कहीं गज़ंद

रुख़्सार से न आप गुल-ए-तर लगाइए

साक़ी के लुत्फ़-ए-ख़ास की तअ'ज़ीम है ज़रूर

आँखों से जाम-ए-बादा-ए-अहमर लगाइए

है जी में बहर-ए-नूर-ए-निगह उस की ख़ाक-ए-पा

सुर्मा की जा अगर हो मयस्सर लगाइए

ये दिल में है कि छोड़ के 'रौनक़' जहान को

कूचे में उस निगार के बिस्तर लगाइए

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In Hindi By Famous Poet Raunaq Tonkvi. is written by Raunaq Tonkvi. Complete Poem in Hindi by Raunaq Tonkvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.