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आलम में न कुछ कसरत-ए-अनवार को देखें - रौनक़ टोंकवी कविता - Darsaal

आलम में न कुछ कसरत-ए-अनवार को देखें

आलम में न कुछ कसरत-ए-अनवार को देखें

पर्दे में नज़र-बाज़ रुख़-ए-यार को देखें

हैरत से मिरे देखने को देखते हैं क्या

देखें तो वो अपने लब ओ रुख़्सार को देखें

रहने दें मुझे गर्म-ए-फ़ुग़ाँ कूचे में अपने

अपनी भी वो कुछ गर्मी-ए-बाज़ार को देखें

वो उस से ज़ियादा है तो ये उस से ज़ियादा

गुफ़्तार सुनें उस की कि रफ़्तार को देखें

हैं ज़ुल्फ़ ओ रुख़ ऐ शोख़ तिरे क़ातिल-ए-आलम

काफ़िर ही को देखें न ये दीं-दार को देखें

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In Hindi By Famous Poet Raunaq Tonkvi. is written by Raunaq Tonkvi. Complete Poem in Hindi by Raunaq Tonkvi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.