Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_0286deafbaff3314f22f708f1cc6287f, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
जब कभी यादों का दरवाज़ा खुला आख़िर-ए-शब - रौनक़ दकनी कविता - Darsaal

जब कभी यादों का दरवाज़ा खुला आख़िर-ए-शब

जब कभी यादों का दरवाज़ा खुला आख़िर-ए-शब

कोई दर आया ब-अंदाज़-ए-हवा आख़िर-ए-शब

हम पशेमान इधर और उधर वो नादिम

शाम का भूला हुआ आ ही गया आख़िर-ए-शब

दिल के आँगन में ब-सद नाज़ था वो महव-ए-ख़िराम

फूल ही फूल था नक़्श-ए-कफ़-ए-पा आख़िर-ए-शब

कर सका पेश न उर्यानी का जब कोई जवाज़

आ गया ओढ़ के मरियम की रिदा आख़िर-ए-शब

साँवली शाम की ज़ुल्फ़ों के परस्तार तमाम

हो गए आप ही मसरूफ़-ए-दुआ आख़िर-ए-शब

नींद आ ही गई वामाँदा थे आ'साब तमाम

ठंडी ठंडी जो चली मौज-ए-सबा आख़िर-ए-शब

वो कसक मुर्ग़-ए-सहर की थी नवा में 'रौनक़'

दिल पे इक नश्तर-ए-एहसास लगा आख़िर-ए-शब

(510) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Raunaq Deccani. is written by Raunaq Deccani. Complete Poem in Hindi by Raunaq Deccani. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.