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ब-नाम-ए-पैकर-ख़ाकी न गर्द बन जाओ - रौनक़ दकनी कविता - Darsaal

ब-नाम-ए-पैकर-ख़ाकी न गर्द बन जाओ

ब-नाम-ए-पैकर-ख़ाकी न गर्द बन जाओ

मियान-ए-शहर न सहरा-नवर्द बन जाओ

बगूला बन के उठो बैठ जाओ बन के ग़ुबार

बिखर के हासिल-ए-सहरा-ए-गर्द बन जाओ

है इज्तिमा-ए-अनासिर से ज़िंदगी की नुमूद

और इक़्तज़ा-ए-क़ज़ा फ़र्द फ़र्द बन जाओ

रग-ए-हयात को गर्माओ गर्मी-ए-ख़ूँ से

ये क्या कि वक़्त-ए-अमल जिस्म-ए-सर्द बन जाओ

निगार-ख़ाना-ए-हस्ती का साथ दो 'रौनक़'

ख़ुशी के सामने तस्वीर-ए-दर्द बन जाओ

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In Hindi By Famous Poet Raunaq Deccani. is written by Raunaq Deccani. Complete Poem in Hindi by Raunaq Deccani. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.