वो ये कहते हैं सदा हो तो तुम्हारे जैसी
इस का मतलब तो यही है कि पुकारे जाओ
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क़रीब भी तो नहीं हो कि आ के सो जाओ
इसी बिखरे हुए लहजे पे गुज़ारे जाओ
जो भी कुछ अच्छा बुरा होना है जल्दी हो जाए
कुछ अजब सा हूँ सितमगर मैं भी
कोई ज़ख़्म खुला तो सहने लगे कोई टीस उठी लहराने लगे
यूँही हँसते हुए छोड़ेंगे ग़ज़ल की महफ़िल
नाश्ते पर जिसे आज़ाद किया है मैं ने
तुम भी इस सूखते तालाब का चेहरा देखो
सब होत न होत से नथरी हुई आसान ग़ज़ल हूँ छा के सुनो
उस का ख़याल आते ही मंज़र बदल गया
रौशनी होने लगी है मुझ में
हर मौसम में ख़ाली-पन की मजबूरी हो जाओगे