Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_a18b69ea0ce480257de616240a05ffad, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
ये मिरी रूह सियह रात में निकली है कहाँ - रउफ़ रज़ा कविता - Darsaal

ये मिरी रूह सियह रात में निकली है कहाँ

ये मिरी रूह सियह रात में निकली है कहाँ

बदन-ए-इश्क़ से आगे कोई बस्ती है कहाँ

तुम ने नज़राने गुज़ारे थे कहाँ बाँट दिए

साथ जो उम्र गुज़ारी थी वो रख दी है कहाँ

मेरे आसाब पे लहराती हुई शाख़-ए-गुलाब

आज वो हाथ हिलाती हुई लड़की है कहाँ

एक ही चाँद को तकता हुआ बे-नाम पड़ोस

एक ही चाँद दिखाती हुई खिड़की है कहाँ

नफ़अ ओ नुक़सान से मुँह मोड़े हुए बैठी है

मेरी मग़रूर तमन्ना मिरी सुनती है कहाँ

पहले सर की ये शिकायत थी फ़लक ऊँचा है

अब मिरे पाँव ये कहते हैं कि धरती है कहाँ

(639) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Rauf Raza. is written by Rauf Raza. Complete Poem in Hindi by Rauf Raza. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.