लुभा रही तो है दुनिया चमक दमक की मुझे

लुभा रही तो है दुनिया चमक दमक की मुझे

मगर हयात गवारा नहीं धनक की मुझे

हमेशा अपनी लड़ाई मैं आप लड़ता हूँ

नहीं रही कभी हाजत किसी कुमक की मुझे

बहुत दिनों से ज़मान ओ मकान हाइल हैं

कि आस भी न रही अब तिरी झलक की मुझे

मिरे क़लम की जो ज़द में ये बहर ओ बर आते

दुहाई देने लगे नान और नमक की मुझे

मिरा गुमान यक़ीं में बदलता रहता है

समझने वाले भले ही समझ लें शक्की मुझे

चुनाँचे गर्दिश-ए-अय्याम थक के बैठ गई

मैं सख़्त-जान हूँ क्या पीसती ये चक्की मुझे

इसी लिए तो मैं निमटा रहा हूँ काम अपने

मैं जानता हूँ कि मोहलत है आज तक की मुझे

अदा किया उसी सिक्के में बे-झिजक मैं ने

हुई जहाँ कहीं महसूस बू हितक की मुझे

ख़राब-हाल ये बे-'ख़ैर' ओ बे-अदब हो कर

भटक न जाए कहीं फ़िक्र है सड़क की मुझे

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In Hindi By Famous Poet Rauf Khair. is written by Rauf Khair. Complete Poem in Hindi by Rauf Khair. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.