अब इस से पहले कि तन मन लहू लहू हो जाए
अब इस से पहले कि तन मन लहू लहू हो जाए
लहू से क़बल-ए-शहादत चलो वज़ू हो जाए
क़रीब-ए-दीदा-ओ-दिल इस क़दर जो तू हो जाए
तो क्या अजब तिरी तारीफ़ में ग़ुलू हो जाए
भले ही होती है दुनिया तमाम हू हो जाए
ख़ुदा-न-ख़्वास्ता मेरे ख़िलाफ़ तू हो जाए
मैं अपना फ़ोन कभी बंद ही नहीं रखता
न जाने कब उसे तौफ़ीक़-ए-गुफ़्तुगू हो जाए
तुम्हारी चश्म-ए-करम ही से है भरम दिल का
वो दिन न आए कि ये जाम बे-सुबू हो जाए
मिले मिले न मिले फ़ुर्सत ओ फ़राग़त फिर
चलो यहीं कहीं कुछ देर हा-ओ-हू हो जाए
दिमाग़ उस का सुना है कि आसमान पे है
मिरी ज़मीन पे चल कर लहू लहू हो जाए
रऊफ़ 'ख़ैर' किसी पर कभी नहीं खुलना
जो आज यार है मुमकिन है कल उदू हो जाए
(605) Peoples Rate This