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शौक़ से आए बुरा वक़्त अगर आता है - रसूल साक़ी कविता - Darsaal

शौक़ से आए बुरा वक़्त अगर आता है

शौक़ से आए बुरा वक़्त अगर आता है

हम को हर हाल में जीने का हुनर आता है

ग़ैब से कोई न दीवार न दर आता है

जब कई दर से गुज़रते हैं तो घर आता है

आज के दौर में किस शय की तमन्ना कीजे

होता कुछ और है कुछ और नज़र आता है

पहले इक हूक सी उठती है लब-ए-साहिल पर

फिर कहीं जा के समुंदर में भँवर आता है

ख़ुद मिरी चीख़ सुनाई नहीं देती मुझ को

इस तरह दिल में कोई ख़ौफ़ उतर आता है

एक तो देर तलक नींद नहीं आती है

और फिर ख़्वाब भी तो पिछले पहर आता है

किस की ताज़ीम को उठती हैं उमंगें दिल की

हुजरा-ए-ख़ास में ये कौन बशर आता है

मेरे इस ख़्वाब की ता'बीर कोई बतलाए

नुक़रई तश्त में शाहीन का पर आता है

जाने किस हाल में रखती है ये दुनिया मुझ को

जाने किस बात पे दिल दर्द से भर आता है

वैसे तो कहने को सच बात सभी कहते हैं

इस की पादाश में क्यूँ मेरा ही सर आता है

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In Hindi By Famous Poet Rasool Saqi. is written by Rasool Saqi. Complete Poem in Hindi by Rasool Saqi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.