लाव-लश्कर जाह-ओ-हशमत है यहाँ

लाव-लश्कर जाह-ओ-हशमत है यहाँ

शाह कोई कब सलामत है यहाँ

बारगाह-ए-दिरहम-ओ-दीनार है

हर कोई मिस्कीन सूरत है यहाँ

बे-ज़बानी पर मिरी बोला ख़ुदा

लब-कुशाई की इजाज़त है यहाँ

ऐ फ़सील-ए-शहर तू रहियो गवाह

साहिब-ए-आलम की हुर्मत है यहाँ

शहर क्या है एक दश्त-ए-बे-हिसी

गाँव तो फिर भी ग़नीमत है यहाँ

हम करेंगे जो हमारे बस में है

बाक़ी अपनी अपनी क़िस्मत है यहाँ

रू-ब-रू होता है अपना ज़िक्र-ए-ख़ैर

पीठ-पीछे सारी ग़ीबत है यहाँ

दर नहीं दरबान को सज्दा करो

कामयाबी की ज़मानत है यहाँ

तुम हमारे हो कुछ इस में शक नहीं

बस ज़रा हर शय की क़ीमत है यहाँ

सारे अपने ही हैं तेरी बज़्म में

ग़ैर तो बस दिल की हालत है यहाँ

इश्क़ तो रुख़्सत हुआ मजनूँ के साथ

किस लिए लैला की शोहरत है यहाँ

किस क़दर घिस-पिट गया ये क़ाफ़िया

जिस तरफ़ देखो मोहब्बत है यहाँ

इश्क़ है बाज़ीगर-ए-मुल्क-ए-अदम

हुस्न भी क़ुफ़्रान-ए-नेमत है यहाँ

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In Hindi By Famous Poet Rasool Saqi. is written by Rasool Saqi. Complete Poem in Hindi by Rasool Saqi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.