Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_942a2d62e750bb329ea48513ccde7c26, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
कुछ हद भी ऐ फ़लक सितम-ए-ना-रवा की है - रसूल जहाँ बेगम मख़फ़ी बदायूनी कविता - Darsaal

कुछ हद भी ऐ फ़लक सितम-ए-ना-रवा की है

कुछ हद भी ऐ फ़लक सितम-ए-ना-रवा की है

हर साँस दास्ताँ तिरे जौर-ओ-जफ़ा की है

हाजत-रवा की और न ज़रूरत दुआ की है

अब छोड़ चारासाज़ जो मर्ज़ी ख़ुदा की है

दामान-ए-ज़ब्त चाक तो कर दे जुनूँ मगर

तौहीन ये मिरे दिल-ए-ग़म-आशना की है

ख़ून-ए-हयात ख़ून-ए-तरब ख़ून-ए-आरज़ू

ये शरह-ए-मुख़्तसर मिरी उम्र-ए-वफ़ा की है

ग़ैरत ने मेरी ख़ुद ही सफ़ीना डुबो दिया

देखा नज़र फिरी हुई कुछ नाख़ुदा की है

बर्बादियों से दर्स-ए-बक़ा ले रही हूँ मैं

ये सुन्नत-ए-कुहन शह-ए-करब-ओ-बला की है

इरफ़ान-ए-ग़म से नफ़्स का इरफ़ाँ हुआ नसीब

सीढ़ी ये पहली मा'रिफ़त-ए-किब्रिया की है

हम से ख़िज़ाँ-नसीब क़फ़स में भी शाद हैं

लाई जो बू-ए-गुल ये इनायत सबा की है

ख़ुद्दारियों ने ज़ीस्त को आसाँ बना दिया

बेताबियों की ख़ू है न आह-ओ-बका की है

माना कि तुझ को ऐश की जन्नत नसीब है

तहक़ीर-ए-ग़म न कर कि ये ने'मत ख़ुदा की है

इस ज़िंदगी ने साथ किसी का नहीं दिया

किस बेवफ़ा से तुझ को तमन्ना वफ़ा की है

कश्ती को मेरी मौजों से पहुँचा नहीं गुज़र

मिन्नत-गुदाज़ ये करम-ए-नाख़ुदा की है

'मख़फ़ी' पनाह-ए-चादर-ए-ज़ेहरा न छोड़ना

ता'लीम-ए-नौ सुना है कि दुश्मन हया की है

(566) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Rasool Jahan Begam Makhfi Badayuni. is written by Rasool Jahan Begam Makhfi Badayuni. Complete Poem in Hindi by Rasool Jahan Begam Makhfi Badayuni. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.