आस हुस्न-ए-गुमान से टूटी
आस हुस्न-ए-गुमान से टूटी
शाख़ फल के निशान से टूटी
मिल गई ख़ाक हो के मिट्टी में
ईंट जो भी मकान से टूटी
अर्ज़-ए-अहवाल ना-शनासों से
रग अना की ज़बान से टूटी
जिस पे दार-ओ-मदार-ए-कश्ती था
डोर वो बादबान से टूटी
मसअले दोस्ती के हल न हुए
गुफ़्तुगू दरमियान से टूटी
दस्त-ए-दुश्मन से तीर क्या छूटा
एक बिजली कमान से टूटी
बाब किरनों के खुल गए 'रासिख़'
सद्द-ए-ज़ुल्मत अज़ान से टूटी
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