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कोई हैरान है याँ कोई दिल-गीर - रासिख़ अज़ीमाबादी कविता - Darsaal

कोई हैरान है याँ कोई दिल-गीर

कोई हैरान है याँ कोई दिल-गीर

कहे तू है ये आलम बज़्म-ए-तस्वीर

जले तक का मैं अपने क़द्र-दाँ हूँ

ये चुटकी राख है इक-तुर्फ़ा इक्सीर

निगाह-ए-इज्ज़ कुछ कुछ कारगर थी

सो अब जाती रही उस की भी तासीर

वो दिन क्या बा-हलावत थे कि अहबाब

मुआफ़िक़ थे बहम जूँ शक्कर-ओ-शीर

करूँ क्यूँकर न मैं 'रासिख़' मबाहात

कि हैं उस्ताद मेरे हज़रत-ए-'मीर'

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In Hindi By Famous Poet Rasikh Azimabadi. is written by Rasikh Azimabadi. Complete Poem in Hindi by Rasikh Azimabadi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.