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ज़िक्र-ए-तूफ़ाँ भी अबस है मुतमइन है दिल मिरा - रशीद शाहजहाँपुरी कविता - Darsaal

ज़िक्र-ए-तूफ़ाँ भी अबस है मुतमइन है दिल मिरा

ज़िक्र-ए-तूफ़ाँ भी अबस है मुतमइन है दिल मिरा

नाख़ुदा तुम हो तो फिर दरिया मिरा साहिल मिरा

रहनुमा-ए-ज़िंदगी है इज़्तिराब-ए-दिल मिरा

चल रहा है कारवाँ मंज़िल पस-ए-मंज़िल मिरा

क़िस्सा-ए-मंसूर हो या दास्तान-ए-कोहकन

जो फ़साना देखिए इक बाब है शामिल मिरा

मिल रहा है ज़िंदगी को आज उनवाँ सही

मुन्फ़इल क्यूँ हो नसीब-ए-दुश्मनाँ क़ातिल मिरा

चंद ज़र्रे ख़ाक-ए-आदम से अज़ल में बच गए

फ़ितरत-ए-मा'सूम ने इन से बनाया दिल मिरा

आफ़ियत है मेरी फ़ितरत के मुनाफ़ी ऐ 'रशीद'

वर्ना आया था सफ़ीना जानिब-साहिल मिरा

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In Hindi By Famous Poet Rashid Shahjahanpuri. is written by Rashid Shahjahanpuri. Complete Poem in Hindi by Rashid Shahjahanpuri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.