Warning: session_start(): open(/var/cpanel/php/sessions/ea-php56/sess_eeaf2debdd4514a23d84dfe081ac2ccd, O_RDWR) failed: Disk quota exceeded (122) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1

Warning: session_start(): Failed to read session data: files (path: /var/cpanel/php/sessions/ea-php56) in /home/dars/public_html/helper/cn.php on line 1
साक़ी-ए-रंगीं-अदा था बादा-ए-गुलफ़ाम था - रशीद शाहजहाँपुरी कविता - Darsaal

साक़ी-ए-रंगीं-अदा था बादा-ए-गुलफ़ाम था

साक़ी-ए-रंगीं-अदा था बादा-ए-गुलफ़ाम था

नासेह-ए-मुश्फ़िक़ लिहाज़-ए-तौबा मुश्किल काम था

जो तजल्ली-आश्ना था जल्वा-गाम-ए-आम में

वो निगाहें थीं हमारी या दिल-ए-नाकाम था

मेरा अफ़्साना सुनाया क़ैस ने फ़रहाद ने

अब भी मैं बदनाम हूँ पहले भी मैं बदनाम था

उन की महफ़िल में फ़क़त मैं ही न था हसरत-ज़दा

शम्अ' भी अफ़्सुर्दा थी परवाना भी नाकाम था

क्या सुनाऊँ आप को अफ़साना-ए-राह-ए-वफ़ा

मुख़्तसर ये है कि मैं नाकाम हूँ नाकाम था

अब हमें वो दिन वो रातें याद आती हैं 'रशीद'

कू-ए-जानाँ की बहारें थीं दिल-ए-ख़ुश-काम था

(454) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Rashid Shahjahanpuri. is written by Rashid Shahjahanpuri. Complete Poem in Hindi by Rashid Shahjahanpuri. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.