आशियाने की बात करते हो
आशियाने की बात करते हो
दिल जलाने की बात करते हो
बंद है राह-ए-नामा-ओ-पैग़ाम
जाने आने की बात करते हो
क्यूँ छिड़कते हो ज़ख़्म-ए-दिल पे नमक
मुस्कुराने की बात करते हो
हो गया ज़ख़्म-ए-दिल हरा एक एक
ग़म भुलाने की बात करते हो
दौलत-ए-ग़ैर मुनक़सिम है ये
ग़म हटाने की बात करते हो
कुछ हमारी बताओ अपनी सुनो
क्या ज़माने की बात करते हो
वज़्अ'-दारी ख़ुलूस सिद्क़-ओ-सफ़ा
किस ज़माने की बात करते हो
कहते हैं सुनते ही 'रशीद' का नाम
किस दिवाने की बात करते हो
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