अब ज़ीस्त मिरे इम्कान में है

अब ज़ीस्त मिरे इम्कान में है

वो लम्हा लम्हा ध्यान में है

कुछ फूल थे वो भी सूख गए

इक हसरत सी गुल-दान में है

इक तानता सोच ने बाँधा था

अब चेहरा रौशन-दान में है

दिल डूबा पहले ग़ुर्बत में

अब पानी कच्चे मकान में है

वो मारका-ए-दिल जीत के भी

फिर तन्हा दिल मैदान में है

है दुश्मन मिरे तआक़ुब में

और आख़िरी तीर कमान में है

(533) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

In Hindi By Famous Poet Rashid Noor. is written by Rashid Noor. Complete Poem in Hindi by Rashid Noor. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.