इस ए'तिबार से वो ज़ूद-रंज अच्छा है

इस ए'तिबार से वो ज़ूद-रंज अच्छा है

ख़फ़ा भी हो तो मिरे साथ साथ रहता है

मैं आफ़्ताब-ए-बदन का क़सीदा लिखता हूँ

वो मेरी रूह को पोशाक-ए-नूर देता है

असा-ए-सब्र से रस्ता बना लिया हम ने

कभी जो राह में दरिया-ए-जब्र आया है

सर-ए-निगाह भी 'राशिद' धनक धनक पैकर

पस-ए-सहाब भी इक चाँद चाँद साया है

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In Hindi By Famous Poet Rashid Mura. is written by Rashid Mura. Complete Poem in Hindi by Rashid Mura. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.