दर्द की हद से गुज़रना तो अभी बाक़ी है

दर्द की हद से गुज़रना तो अभी बाक़ी है

टूट कर मेरा बिखरना तो अभी बाक़ी है

पास आ कर मिरा दुख-दर्द बटाने वाले

मुझ से कतरा के गुज़रना तो अभी बाक़ी है

चंद शेरों में कहाँ ढलती है एहसास की आग

ग़म का ये रंग निखरना तो अभी बाक़ी है

रंग-ए-रुस्वाई सही शहर की दीवारों पर

नाम 'राशिद' का उभरना तो अभी बाक़ी है

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In Hindi By Famous Poet Rashid Kamil. is written by Rashid Kamil. Complete Poem in Hindi by Rashid Kamil. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.