Ghazals of Rashid Jamaal Farooqi
नाम | राशिद जमाल फ़ारूक़ी |
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अंग्रेज़ी नाम | Rashid Jamaal Farooqi |
ये वाक़िआ तो लगे है सुना हुआ सा कुछ
तमाम क़ज़िया मकान भर था
सवाल गूँज के चुप हैं जवाब आए नहीं
सफ़र से किस को मफ़र है लेकिन ये क्या कि बस रेग-ज़ार आएँ
प्यारा सा ख़्वाब नींद को छू कर गुज़र गया
मौसम के मुताबिक़ कोई सामाँ भी नहीं है
मैं दश्त-ए-शेर में यूँ राएगाँ तो होता रहा
ख़मोश झील में गिर्दाब देख लेते हैं
इस तग-ओ-दौ ने आख़िरश मुझ को निढाल कर दिया
भले दिन आएँ तो आने वाले बुरे दिनों का ख़याल रखना