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कोई साया न शजर याद आया - राशिद हामिदी कविता - Darsaal

कोई साया न शजर याद आया

कोई साया न शजर याद आया

थक गए पाँव तो घर याद आया

खिल उठे फूल से सहराओं में

फिर वो फ़िरदौस-ए-नज़र याद आया

फिर मिरे पाँव में ज़ंजीर पड़ी

फिर तिरा हुक्म-ए-सफ़र याद आया

लौट जाने को बहुत दिल मचला

क्या पस-ए-गर्द-ए-सफ़र याद आया

सारी उम्मीदों ने दम तोड़ दिया

नख़्ल-ए-बे-बर्ग-ओ-समर याद आया

लाख चाहा था कि वो चश्म-ए-ग़ज़ाल

फिर न याद आए मगर याद आया

ख़्वाब और आलम-ए-बेदारी में

रेत पर रेत का घर याद आया

मर्सिया दिन का लिखा था 'राशिद'

शब को उनवान-ए-सहर याद आया

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In Hindi By Famous Poet Rashid Hamidi. is written by Rashid Hamidi. Complete Poem in Hindi by Rashid Hamidi. Download free  Poem for Youth in PDF.  is a Poem on Inspiration for young students. Share  with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.